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Thursday 17 November 2011

Speak Asia News 17/11/2011

Speak Asia News Headlines 17 November 2011 

अधिवक्ता धंधा नहीं मांग सकते, अधिनियम के उल्लंघन का कार्य है
Aneesh Says We Have Not Opened Any Shop



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अधिवक्ता धंधा नहीं मांग सकते, अधिनियम के उल्लंघन का कार्य है

मुझे आश्चर्य हुआ , लोगों के एक दल के चालाकी पे , जो रहस्यमय तरीके से उभरके सामने आया, Speakasians के एक अनुभाग का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हुए. उनके बारे में मजेदार यह था कि कैसे वे अपनी कहानी में असंगत थे और मुझे विडियो समझाने कि अनुमति दें . वैसे यहाँ ध्यान देना उचित है कि हमारे वकील के अनुसार इन अधिवक्ताओं के वीडियो जो aneeshsharma-lawyer.blogspot.com पर अपलोड किये हैं , अधिवक्ताओं के अधिनियम के सकल उल्लंघन का कार्य है. क्योंकि अधिवक्ता धंधा नहीं मांग सकते जैसे कि अधिवक्ताओं ने इस वीडियो में किया है.
हमें इस सकल उल्लंघन को उचित मंच के सामने लाने की सलाह दी गई है.

इस दल के मानने जाने वाले वरिष्ठ साथी (जितेंद्र मोहन शर्मा) कह रहे है कि वे यहाँ हैं "पहली बार निवेशक" के अधिकारों की रक्षा के लिए, और फिर वह ग़लत दावा करते हैं कि रिट याचिका ३८३ /२०११ ,जिस में इस दल ने कुछ Speakasians की ओर से हस्तक्षेप किया है , एक जनहित याचिका (PIL) है. श्रीमान यह गलत है क्योंकि ये जनहित याचिका नहीं है, एक रिट याचिका है.

फिर दुसरे वकील (अनीश शर्मा) का कहना है कि वे यहाँ हैं, उन Speakasia पैनलइस्ट्स की रक्षा करने के लिए, जो फरवरी २०११ और मई २०११ के बीच में शामिल हुए थे.

फिर, वह अपने व्यापार की योजना का परिचय देते है और हमें बताते हैं कि पैनलइस्ट्स जो इस (गलत दृष्टिकोण वाले) दल के पास जायेंगे
हमारा सुप्रीम कोर्ट या समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने के लिए , यह दल खुशी ख़ुशी एक छोटे से शुल्क के लिए हमारा प्रतिनिधित्व करेंगे.और अब किसीने मुझे कहा कि ये दावा राशि (claim amount ) के २५ % और ४० % के बीच है . किसी भी हाल में ये एक छोटा सा शुल्क नहीं है.

इस दूसरे वकील का कहना है कि, १३० करोड़ से अधिक, जो CID ​​हैदराबाद के आदेश के तहत जब्त है जनता का पैसा है. मैं इन श्रीमान से पूछना चाहता हूँ ,कि कैसे वह इस पैसे को , जो फ्रेंचाइजी और कुछ पैनलईस्ट का है ,आम जनता का पैसा है , वर्गीकृत कर सकते हैं? किसी भी तर्क के बिना, सोचे समझे बिना, श्रीमान अंत में शामिल होने वालों को ,आम जनता कहकर ,speakasian परिवार को विभाजित करने की कोशिश कर रहा आम जनता और इतनी आम नहीं जनता में

वे आगे कहते है कि अंत में शामिल होने वालों को जिन्हें कंपनी से कोई राशि वापस नहीं मिली है (refund ) ,उनका पहला अधिकार है जब्त किये जनता के पैसों पर . श्रीमान , यहाँ कोई रिफंड नहीं हैं, पैनलइस्ट्स को कंपनी से प्राप्त आय , कंपनी के विपणन गतिविधियों में भाग लेने से मिलता है और किसी भी हालत में इसे वापसी (refund )कि व्याख्या नहीं दी जा सकती.

वे नहीं समझते कि, अगर अंत में शामिल होने वाले उनके समूह को , पहले भुगतान हो, तो उन्हें अपने मुवक्किल को,(अंत में शामिल होने वालों) सलाह देनी चाहिए , (Exit Option ), बाहर निकलें विकल्प को चुनने की. यदि उनको बाहर निकलें विकल्प को लेने की इच्छा नहीं है तो उन्हें कंपनी के मौजूदा नियमों के अनुसार भुगतान किया जाएगा.

इस तिकड़ी के तीसरे महाशय (अजीत शर्मा) ने सहजता से मान लिया है कि बहु प्रतिनिधि समिति का गठन किया जाएगा और कई और अधिक प्रतिनिधि होंगे इत्यादि. क्यों और कैसे वे इस निष्कर्ष पे पहुंचे कोई नहीं जानता, निश्चित ही, सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का आदेश नहीं दिया है . मुझे यकीन है कि न्यायमूर्ति माननीय लाहोटी ने उनके साथ अपने विचार बांटे नहीं है, यह और कुछ नहीं, बिना सोचे समझे जल्दबाजी में कुछ कहने का उपयुक्त उदहारण है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत स्पष्ट है. न्यायमूर्ति श्री आर.सी. लाहोटी से अनुरोध किया है विभिन्न दलों के बीच एक मैत्रीपूर्ण समाधान की संभावना खोजने का और मध्यस्थता कार्यवाही के बाद निकाले निष्कर्ष का रिपोर्ट इस कोर्ट को पेश करने का इस समिति पर किसी भी अतिरिक्त प्रतिनिधियों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, यह एक मध्यस्थ की नियुक्ति है और इस मामले के गुण दोष को मध्यस्थ नहीं देखेगा . मध्यस्थ केवल पैनलइस्ट्स , SAOL और सरकार यानी विभिन्न एजेंसी
के बीच एक सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावनाओं को देखेगा .. यह बात सभी Speakasians के लिए होगी, न कि केवल उन ११५ पैनलइस्ट्स के लिए जिन्होंने मूल रिट दायर की है

सभी पनेलिस्ट्स को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनने की कोई आवश्यकता नहीं है, यह मामला नहीं है कि मध्यस्थ (माननीय . न्यायमूर्ति श्री आर.सी. लाहोटी जी) या सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत रूप से एक एक करके भुगतान को संभालेंगे. . अंतिम विश्लेषण में सभी भुगतान पहले जैसे प्रभावित किया जाएगा, सीधे सभी पैनलइस्ट्स के खातों में

यह हैराण, गलत सूचित,भ्रमित , अति उत्साही अधिवक्ताओं का पंचमेल समूह ,अपने उत्साह में भूल गया कि वे स्वाभिमानी, सशक्त उपभोक्ताओं के एक परिवार का सामना कर रहे हैं ना कि भोले भllllllले नासमझों का . भुगतान SAOL से हमारे खातोंमें सीधे एलेक्ट्रोनिकली किया जाएगा जैसे पहले किया जाता था , तो हमें व्यक्यिगत या स्वतंत्र रूप से समिति या सुप्रीम कोर्ट के पास जाने कि क्या जरूरत है किसी भी भुगतान के निपटान के लिए ?
हम सभी जानते हैं कि United Speakasia नामक एक समूह कुछ समय पहले सामने आया और Speakasians को अपनी सविस्तार जानकारी देने को कहा. लेकिन उनके United Speakasia ब्लॉग या उनके संचार से स्पष्ट नहीं है कि उनके इस पहल के पीछे कौन व्यक्ति है. एक ब्लॉग पोस्ट में वे दावा करते है कि उनके योजना बनाने वाले व्यक्ति (mastermind) जिसे वे "हमारे सर"कहते हैं "United Speak Asia Group Mind " कई बातें जानते हैं जो हम गरीब बुद्धिहीन ८०% Speakasians नहीं जानते. हम इन दिखावटी तौर पे नैतिक सर से पूछते हैं "Group Mind ", क्या जानता हैं जो हम नहीं जानते. कृपया आप हमें समझाइये और बताइए , आप क्या जानते हैं जो हम नहीं जानते

इस नए वकील (अनीश शर्मा) का एक बिलकुल नए facebook profile के साथ प्रकट होना और एक बिलकुल नया Blogspot एक अच्छी तरह से सोची समझी चाल लगती है. कोई बड़ा शिकार फांसने के लिए कोई तो मैदान में उतरा है, मोटी रक्कम बनाने के लिए . कोई भी महत्वाकांक्षी व्यक्ति से दिक्कत नहीं होती है, हमें चिंता होती है किसी की कूटनीति से, दूसरों की कीमत पर पैसा बनाने का , और Speakasians के बीच भ्रम की स्थिति बनाने का .

इस वकील ने अपना facebook प्रोफ़ाइल बनाते वक़्त तस्वीर दिखाई कि वे द्वारका न्यायालय में वकालत करते हैं और रातों रात जब उन्होंने अपना blogspot बनाया वह खुद को सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में दिखाते है, अजीब है ना.

यहाँ अनुचित नहीं होगा सबको बताने का कि AISPA सभी पैनलइस्ट्स के हित की रक्षा करने के लिए गठित किया गया है और AISPA कर्त्तव्यबद्द है इसके पनेलिस्ट घटक क़ी रक्षा के लिए, यानी की ऐसे नकारात्मक समूह, जो दिल में केवल अपने व्यक्तिगत मुनाफे में रूचि रखते हैं और जिन्हें परवाह नहीं है पैनलईस्ट या कंपनी में. . इस तरह के गलत जानकार लोग सिर्फ समस्या निर्माण करेंगे जैसे क़ी पहले बताया गया और केवल मामलों को और अधिक जटिल बना देंगे.

बहुत जगह और सामग्री मामूली बातों पर व्यर्थ किया है, बस कुछ मुद्दों को नजरअंदाज कर देना चाहिए, लेकिन फिर speakasian परिवार के अच्छे के लिए और एक सेवा के रूप में यह महत्वपूर्ण था कि सदा के लिए इस समूह का असली चेहरा बेनकाब किया जाए.

जैसेकि मैंने कल मेरे वीडियो में कहा कि एक बार व्यापार की गतिविधि सामान्यीकृत होते ही , आप गवाह होंगे कॉर्पोरेट इतिहास के फिर से लिखे जाने का . Speakasia का विशाल रथ बहुत विशाल और बिल्कुल रोके न रुकने वाला है . हमारे करिश्माई नेता, हमारे अपने बब्बर शेर, श्री तारक बाजपाई जी के नेतृत्व में हमारा विशाल रथ अपनी विशालता के साथ हमारे सभी दुश्मनों को नष्ट कर देगा.

मेरे शब्दों पर ध्यान दें, साथी Speakasians , हम एक क्रांति का हिस्सा होने जा रहे हैं और SAOL भारत में व्यापार के इतिहास में सबसे तेजी से बढ़ रहे कॉर्पोरेट होने जा रहा है. SAOL धूम मचा देगा और हम SAOL के साथ धूम मचाएँगे.
.
हम सभी Speakasians श्री तारक बाजपाई जी को हमारे सच्चे के रूप में देखते हैं , क्योंकि उन्होंने हमारे आचरण को बदल दिया है और यह कहा जाता है:

"यदि आपके कार्य, दूसरों को प्रेरित करें और अधिक सपने देखने के लिए , और अधिक जानने के लिए, अधिक करने के लिए और अधिक होने के लिए , तो आप एक नेता हैं.".......... जॉन क्वीन्सी एडम्स.

विश्वास रखिये , धैर्य रखिये, अपनी कंपनी पर भरोसा रखिये.,

Jai Speakasia
Speakasian होने पर गर्व
अशोक बहिरवानी
सचिव AISPA



Aneesh Says We Have Not Opened Any Shop

At this stage, it can only be said that an application for impleadment has been filed on behalf of new panelists who joined recently. They also claim that they are similarly situated as that of writ petitioners. However, they say that since they have not yet received any benefits till now, therefore, they form a class but in own self and as such are entitled for refund or payment as the case may be, prior to any other group who have already been benefitted earlier, as their claim is superior than others.

The first time joinees/panelists have also been preferred as investors as anybody who initially joins in any business or profession, invests his money in the same and therefore, referred as investors/panelists. This cannot be treated as publicity or soliciting.  This is an information to the general public/panelists who want to know or redress their grievances, they have to file application either directly in Supreme Court or through an Advocate.

It is further to state that we have not opened any shop (Dukaan) as said in a video by some Senior Panelist, we are just fighting for the aggrieved persons who have not got justice. They are the one who came directly to us to contest their case, and that is what we are doing as its our profession. We are not doing any sort of negative publicity of any of the persons, so the same we expect from others.

The Hon'ble Court on 14.11.2011 ordered appointment of Justice R.C. Lahoti (former Chief Justice of India) to explore the possibility of amicable settlement. The Court also fixed 21.11.2011  at 11 A.M. before Hon'ble Justice R.C. Lahoti.

Thus the matter is listed before Mediator on 21.11.2011.

Speak Asia News 24x7 Dated :- 17 November 2011